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मेलाही पु० सा वीरमेन नार्या षीमा पुर्ण सा समरा सहसू श्रेण श्री शांतिनाथ विंग प्र० श्री वृद्दजले श्री रत्नाकर सूरि प० श्री मुनिनिधान सूरि श्री मेरुपज सूरिचिः ॥
[1407] सं० १५५१ वर्षे वैशाप सु० १० सोमे ओसवाल द्वारा सा गकुरसी ना वीसलदे सुत सा धनाकेन नार्या सोनाई पुत्र साप हांसादियुतेन सुता बाबू श्रेयसे श्री शीतलनाथ बिंब का रितं प्रति श्री वृहत्तपापके भी उदयवसन सूरिलिः।
[1408] संवत् १५३३ वर्षे वैशाष वदि ५ श्री संडेरगछे ओसवाल ज्ञाय राणु माथेच (१) गोत्रे केलादेन चणा आल्हू पुण् गोकाला उदेव्ह "" जयनादर्पदयुतेन आत्मपुण्यार्थ श्री चंप्रन स्वामि विंबं का प्र० श्री " सूरि संताने श्री शांति सूरिजिः।
14001 सं० १५३३ माघ सुदि ५ श्री आदिनाथ बिंचं कारितं प्रतिष्ठितं श्री जयशेषर सूरिनिः।
[14101 सं० १५३६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि जोमे श्री ५ माल झा महाजन । सदा जा सूहवये सुत बीका आका महा० बीका ना कपूर सुत ताव्हा कान्हा जनासहितेन मातृपितृश्रेयसे श्री विमलनाथ विंबं का प्रति श्री चैत्रगच्छे श्री लक्ष्मीसागर सूरिक चांअसमीया असारि गोयं वासर (?) वा।
[1411 1 ॥ सं० १५३६ वर्षे माघ सुदि ए सोमे प्राण । झाति सा सरवण ना सहजलदे सुत सा सूरा पाल्ह साप जोगा नार्या कमी सुत असल प्रमुखकुटुंवयुतेन स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथ बिंबं कारित प्रतिधित प्रा " सूरिनिः ॥ ॥ श्री॥
"Aho Shrut Gyanam"