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________________ निमित्तं श्री कुंथुनाथ चतुर्विंशति पट्टकं का श्री महड़ गछे रत्नपुरीय न० श्री धर्मचं सूरि पट्टे ज० श्री कमलचंग सूरिनिः॥ शाल्मलीयपुरे । धातु की मूर्ति पर। __[1301] सं० १६७५ वर्षे वै० सु० १५ दिने इंदलपुर वास्तव्य प्रा० वाद (प्राग्वाट ) ज्ञातीय बाई वन का० श्री संजव बिं० प्र० श्री। विजयदेव सूरिनिः । श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर। पंचतीर्थियों पर। [1302] संवत् ११७ फागुण सुदि ए सालिगदे खूण वति ना कारिता । [1303] सं० १३०६ माह वदि २ श्री वृहाच बाग श्री देवार्य स० ककेश झा श्रे० आसचंद्र साए श्रेण देदारिसीहेन पितृश्रेयसे श्री वासुपूज्य वि० का० प्र० श्री अमरचंड सूरि शिष्यैः श्री धर्मघोष सूरिनिः॥ [1304] ॥ सं० १४६६ वर्षे वैशाष सुदि ३ सोमे श्री श्रीमाल झाती म सादहा सुत पितृ मण्मूलू मातृ मूमी सुत उकुरसिंहेन पितृमातृश्रेयसे श्री संजवनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री ब्रह्माणगछे श्रीवीर सूरिभिः ॥ श्री॥ [1305] सं० १५६ए वर्षे माह सुदि ६षमेरकीयगछे ऊ सा० आजा ना कपूरदे सु० तिहुथणा "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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