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कुटुम्बेन स्वश्रेयसे श्री आदिनाथ विंबं कारितं प्रा श्री वडगन्छे श्री श्री चंडप्रन सूरिनिः ॥ ॥ श्री ॥ जावर वास्तव्य ॥
[1387] सं० १५Jए वर्षे वैशाष सु० ६ सोमे कूकर वाड़ा वा नागर झातीय श्रे० कान्हा माण धनी सु० श्रे हरपतिलदणकेन जा लषमादे प्र० का सुतेन नपा सीपा पदमा श्रेण श्री श्रेयांसनाथ बिंब काय श्री वृहत्तपा प० श्री धनरत्न सूरि श्री सौ लाग्यसागर सूरिनिः प्रतिष्ठितं ॥
[1388] संवत् १६२७ वर्षे वैशाष शुदि ३ शुक्र ऊकेशवंशे गोठ १ गोत्रे सोप श्रीवच सोप जोला पुत्र सो उदयकरण चार्या अडवोदे पुत्र सो जसवीर । सो नका सोए धवजी प्रमुख परिवारयुतैः श्री धर्मनाथ विंबं कारितं श्री वृहत्खरतरगछे श्री जिनसिंह सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ श्रीः॥
चौवीसी पर।
[1380] सं० १५२१ वर्षे वैशाष सुदि १० श्री उपकेश झातीय बापणा गोत्रे साप देहड़ पुण देव्हा नार्या धाइ पुत्र सा खूला नीमा कान्हा सजीमाकेन ना वीराणि पुत्र श्रवणा मामू काकू सहितेन श्री शांतिनाथ मूलनायक प्रभृति चतुर्विंशति जिनपट्टः का श्री उपकेशगले ककुदाचार्य संताने प्रण श्रीसिद्ध सूरि पट्टे श्री कक्क सूरिनिः ॥ शुजं ॥
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सं० १५४१ वर्षे आषाढ सु० ३ शनी उप० श्रेष्ठि गोत्रे सा रामा नाण रत्नू पुत्र राजा माजा शिवा राजा ना० टहकू पुत्र बना सांगा मांगा गीईया बाला सहदेव नार्या नटी सा सांगाकेन ना करमी Fि० ना रामति प्र० समस्तकुटुम्बसाहितेन त्रातृ वना
"Aho Shrut Gyanam