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(१.)
दाहिने श्री स्थूलन कोठरी के चरणों पर ।
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श्री॥ नमनिधि गज गोत्रा सम्मितायां समायां ( १७ए ) नयन रस सरत्वाश्चन्छ युक्तेषु शाके ( १७६१ ) ॥ सित पटधर पाटो फाल्गुन शुक्ल पक्ष जुजगपति तियो (५, सम्नार्गवे बासरे ॥१॥श्री मद्ब्रह्मचर्य धर्म बृद्धर्थ्य श्री स्थूलनाचार्य पादपद्म प्रतिष्ठा बहत खरतर गणेश श्री जिनहर्ष सूरि पट्ट प्रनाकर श्री जिन महेंछ सूरिणा कारिता उ० । श्री हीरधर्म गणि बिनय विछत्कुलका प्रनाकर श्री कुशखचंड गएयुपदेशतः । काशीस्थ श्री संधैः ॥ बदलिया गोत्रीयोत्तम चंडात्मज मुनिलालानिधेन ॥
/ [201] (१) ॥ स श्री ५ श्री जिन बिमख सूरि पाउका । (२)॥ श्री जिन खलित सूरि पाडका।
[202] सं० १७ए७ वर्षे कार्तिक मासि शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथौ १५ गुरुवासरे० बृहत् खरतर गले यु० ज० श्री जिनरंग --- ।
1 [203] सं० १७एy बर्षे कार्तिक शुक्ल पक्ष राका तियो १५ गुरु बासरे बृहत् खरतर गछे यु. जा श्री जिनरंग सूरि शाखायां श्राचार्य श्री जिनचंड सूरिणां शिष्य वा० श्री सुमतिनंदन गणिनां पादपने स्थाप्यते० वा जुवनचंडेण । बा सुमतनन्दन गणिनां चरण कमले जवन: था श्री जिन चन्द सूरीणां चरण कमले श्मे नवतः ।
श्री चंदनवाला कोठरी के चरणों पर ।
{2043 ॥ सं० १७२० प्र० श्री सुजाण विजयाजी पाडका।
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