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"[196] संवत १६०६ बर्षे-क---। प्रवर्ग---:। श्री खरतर गछे भी उपाध्याय ग्ल (सक सूरिना ता शिष्येन श्री सन्धिसेन गणि श्री युगप्रधान श्री जिनचंद शाखा पितं उपदेन - - गुजु -- पाठकस्य --- श्री रत्नतिक गलि प्रतिष्ठितं वा पति सन गणि प्रनिडा कृता ॥ श्री रस्तु श्रीः॥१॥
" | 107] मुख नायक ---- राज सजासन धारकं । । । गुर्जरे मह -नति -- गोत्रे -- 30 बेनीदाप्त । तुलसीदास - माणिक - - दास - - कारापितं । श्री-... स्या पापुका श्री-- स्य गुरु -- श्री जिन लब्धिसेन सूरि कृता ॥ यस्यां पाउके बृहत् श्री खर तर गणा - यं० जुग -- श्री युगप्रधान -- श्री जिनचंड सूरि शाखायां श्री उपाध्याय - श्री रत्नतिलक -- तत्पहासकार श्री वाचनाचार्य - मधिसेन गणि श्रादेशेन श्री दयचंद -- - याणा बालिडिवा गोत्रे । नैरवन .. - गप गुजरमलेन -.. श्री रत्नतिक्षक वा --- अ. करेन प्रतिष्ठा पुनमीया --।
103] ॥ संवत १७०५ बर्षे माह सुदि १३ दिने सोमवारे श्री जिन कुशल सुरीपा पादुके। महतीयाण चोपड़ा गोत्रे । समयी तुलसी दास नार्या कल्याणी निहालो पुत्र सच्ची संग्राम सिंह --- गणिनिः प्रतिष्ठिता श्री पावापूरी समस्त श्री सा सहिता श्री रस्तु ।
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॥ सं० । १९१० वर्षे शाके १७७५ माघ शुक्र श्री जिनदत्त सूरी सद्गुरुणा श्री जिन उशख सूरीणां पादन्यासो प्रतिष्ठितं० न० श्री जिन महें सूरिनिः । का। बा । मो। श्री सिपप्रसाद पुत्र शीतख प्रसादेन भेयोर्य मानंदपुरे ॥