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तीर्थ काकंदी और क्षत्रियकुण्ड लखीसराय स्टेशन से ६ कोस पर काकंदी है। नवमा तीर्थंकर श्री सुविधिनाथ जी का चवन-जन्म-दीक्षा और केवल ज्ञान यह चार कल्याणक यहां जये हैं। सुग्रीव राजा रामा रानी के पुत्र थे। मृगशीर बदि ५ जन्म, मृगशीर बदि ६ दीक्षा और कार्तिक सुदी ३ के दिन केवल ज्ञान नया । जैन मुनि धन्ना काकन्दी जी यहीं गये हैं।
यहां से नव कोस पर खत्रिय कुएफ आज कल लबगड़ गांव के नामसे प्रसिद्ध है। चौविशमां तीर्थंकर श्री महाबीर खामी का चवन, जन्म और दीक्षा यह ३ कल्याणक यहां जये हैं।
मूर्तियों पर।
/ [171] संवत १५०४ बर्ष फागुण सुदि ए महतियाण वंशे मुंमतोड़ गोत्रे । मं० महणसी पुत्र स देपाल नार्या मू० महिणि खकुटुंबेन प्राता द० मित्र लखमी पुत्र व्य० हंसराज पुत्र - -- श्री महावीर विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सरतर पाण शुलशील गणिनिः --- ।
[172] संवत १५०४ फागुण सुदि ए दिने महतियाण बंशे मुंमतोड़ गोत्रे । सं० -- राजपुत्र मंग महादेपाल न० माहिणि पुत्र मं० सिवाई।
चरण पर।
[173] थों नमः । संबत २०२२ वर्षे बैशाख मासे शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथौ श्री सुविधिनाथ जिन वर चरण कमले शुने स्थापिते ॥ श्री काकंदी नगरी जन्म कल्याणक स्थाने श्री संघेन जीर्णोद्धार कारापितं ॥ १ चिरं नन्दतु तीर्थोयं काकंदी नामको वरः ।