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तीर्थ श्री चंपापूरी।
यह प्राचीन जैनतीर्थ ६, थाई रेलवेके ग्रुप सैनके जागलपुरके पास नाथनगर टेसन से मिला हुवा है। यहां चंपापुरी-चंपानगर-चंपा-हालमे जिस्को चम्पनालानी कहते है ११ मां तीर्थङ्कर श्री वासुपुज्य खामीके पञ्चकल्याणक नये हैं। यहां श्वेताम्बरी दिगम्बरी दोनो सम्प्रदाय के जुदे २ मन्दिर वर्तमान हैं। राजगृहके श्रेणिक राजाका बेटा कोणिक जिस्को अजातशत्रु वा अशोकचं जी कहते हे राजगृहसे अपनी राजधानी उगकर यहां चंपामें लायाथा । सुनसा सतीजी इसी नगरकी रहनेवाली थी। तीर्थकर महावीर स्वामीने यहां ३ चौमासे कियेथे थौर उन्के थानन्दादि मुख्य श्रावकोमें कामदेव श्रावक यहांका रहनेवाला था और जैनागमके प्रसिद्ध दश बैकालिक सूत्रनी श्री शय्यंजव सूरी महाराजने इसी चंपापुरी में रचा था। बसुपूज्य राजा जया रानीके पुत्र श्री वासुपूज्यस्वामीका चवन जन्म फाल्गुण वदि १४, दिक्षा-फाल्गुण सुदि १५, केवल ज्ञान-माघ सुदि और मोक्ष-वाषाढ़ सुदि १५ यह पांच कल्याणक इसी नगरमें नयेथे इस कारण यह पवित्र क्षेत्र है।
पापापोंके बिंव और चरणोंपर ।
[135] सं १६६७ । श्री धर्मनाथ विवं का सा हीरानंदन । प्र० श्री जिनचंड सरिनिः॥
- [186] सं १७२७ वर्षे वे० सु० ११ --- श्री तपा गछे श्री वीरविजय सुरिनिः प्रतिष्ठितं ॥ श्री सरन। * यह मुर्शिदाबाद के प्रसिद्ध जगत्सठके पूर्वज साह हीरानन्दजी है, जैसा सम्भव है।