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ज्ञातीय बृद्ध शाखायां सा श्री करण नार्या श्री सिरा श्रादि सुत सा सोणसी नार्या श्री संपुराई पुत्र रत्न सा शवराज नाम्ना श्री श्रादिनाथ विवं कारितं स्वप्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापितं प्रतिष्ठितं तपा गछे जा श्री बिजयदेव सूरिनिः॥ जीवनदासजी का घरदेरासर - हरिसनरोड ।
[131] सं १५७५ बर्षे जे० ब० ११ रबी श्रेधणरी नार्या मच्च सुत सा 10 वराकेन वनगिनी श्रेयोर्य श्री पार्श्वनाथ बिंवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री मत्तपागधमंडन श्री सोमसुन्दर सूरिभिः ।
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सं १५७७ ब बैशाख सु० १३ दिने श्री श्रीमाली श्रेण बहजा ना बहजसदे पु० साल करणसी जाजीवादे काना सहितेन श्री शांतिनाथ बिवं का०प्र० पूर्णिमा पक्ष श्री मुनि चन्ड सूरिभिः परजा बा ॥
[13] ___ सं १६०४ बर्षे बैशाख बदि सोमे श्री उसवाल ज्ञातीय सा देवदास जार्या वा देव लदे तत्पुत्र सा० श्री रतनपाल ना वा० रतनादे सपने सा जावड़ ना० वा जासलदे तस पुत्री वा जीवण श्री धरमनाथ श्राप - जिदास परिवार बृतैः।
४७ न० ईशियन मिरर स्ट्रीट-धरमतला। श्री रत्नप्रभ सूरी प्रतिष्ठित मारवाड़ के प्रसिद्ध उपकेश (ओसियां) नगर की श्री महावीर स्वामीके मन्दिरके पार्चमें धर्मशालाकी नींव खोदने में मिली भई श्री पार्श्वनाथ जी के मूर्तिके परकरके पश्चातका लेख ।
1 [184] उ संवत १०११ चैत्र सुदि ६ श्री कक्काचार्य शिष्य देवदत्त गुरुणा उपकेशीय चेत्य रहे अखयुज् चैत्र षष्ठयां शांति प्रतिमा स्थापनीया गंधोदकान् दिवालिका जासुख प्रतिमा इति ।