________________
(२९) सा वीदाकन ना नषी सहितेन स्वश्रेयसे श्री पार्श्वनाथ बिवं कारित प्रतिष्ठितं श्री खरतर गछे श्री जिनन सूरिनिः ॥ श्री पुँजणू वास्तव्य ।
[122]
सं० १५१६ कार्तिक बदि रबौ श्री उएस बंशे लोढ़ा गोत्रे सा बाजू ला पीमिणि पु० सा गजसी नाग नूरा पु० सा धना ना धर्मादे पुण् सा समधरेण जाण सूढवदे सहितेन वृद्ध नातृ नरपति संसारचंड पुण्यार्थं श्री आदिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं रुष पक्षीय गछे श्री सोमसुन्दर सूरिनिः॥
__ [123] सम्बत १५५२ वर्षे कार्तिक बदि ५ गुरौ श्री उएस बंशे। स घड़ीया नार्या कपूरी पुत्र स० गोवल नारा लखमादे पुत्र खेताकेन जात पितृ पितृव्य मातृ श्रेयसे श्री अंचलगन्छाधिराज श्री श्री जयकेशरि सूरीणामुपदेशेन श्री चंप्रन स्वामी विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सङ्घन ॥ कबदेशे धमड़का ग्रामे ॥ श्री॥
| [124] सं० १६३४ बर्षे फा० श्रु० - शः पत्तने सं० माइणना समस्त कुटुम्ब युतेन श्री श्रेयांस नाथ विंग का प्र० श्री बृहत्तपा गठाधिराज श्री हीरविजय सूरिनिः॥
॥ श्री शीतलनाथ स्वामीका मन्दिर-माणिकतला ॥
J [125]
सं० १५५६ बर्षे बैशाख बदि १ रबौ श्री श्रीमाल श्रेष्ठि श्रवण ना० का सु० पितृ बीरा मातृ नाणादे श्रेयोर्थ सुत माहाकेन श्री नेमिनाथ बिंवं कारितं श्री-पू-ण - रत्नसुरि पट्टे श्री साधुसुन्दर सूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितो विधिना श्री सोना आमेण वास्तव्यः ।