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(२७२) संदर सूरि उपदेशेन श्री कलवा नगरे ओसवाल ज्ञातीय म. मलुसी संताने सं. रतन भार्या वा. वीस सुत सं० आमसी श्री जीराउल भुषने देवकुलिका कारापिता । शुस भवतु श्री पार्श्वनाथ प्रसादात ॥ छ ॥ सा० आमसी पुत्र गुणराज सहस राज।
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स्वस्ति श्री संवत् १४८१ वर्षे वैशाख सुदि ३ वहत्तपा पने भटा० श्री रत्नाकर सूरीजामनुक्रमेण श्री अभयसिंह सूरीणा पह श्री जय तिलक सूरीश्वर पहावतंस महा० श्री रत्न सिंह सूरीणामुपदेशेन श्री वीसल नगर वास्तव्य माग्बाटान्वय मंढन श्रेषेत सीह नंदन श्री देवल सीह पुत्र • पोषा तस्य भार्या सं० प्रण उ देव्ये तयोः सुता सं० सादा सं. दादा सं० मूदा सं० दूधानिधै रेतेः कारि।
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स्वस्ति संवत् १५०८ वर्षे आषाढ़ सुदि १२ शने सू० काला सहढा नरसी मीमा मांडण सांढा गोपा मेरा मोकल पांचा सूरा नित्य प्रणम्य अष्टांग सकुटुब।
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ओ। सं० १८५१ वर्षे आसाढ़ सुदि १५दिने श्रीजीरावल पार्श्वनाथजीरो जीर्णोद्वार कारापितः सकल अहारक पुरंदर महारक जी श्री श्री श्री श्री भो १०८ - ५घर राज्येन जीर्णोद्धार करापित हजार ३०१११ रुपीया परचीवी माल लीधो श्री जीरावल वास्तव्य मु०। घजा। को। दला। सा० कला। सा. रसा। सा० सघा । सा. जोयन सा. अणला। सा० धारम। सा० रामल । - - - यकी काम कारापितः । जोसी दुरगा। भात राजा जात्रा सफलः॥