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( 895 ) सं० १३३६ वर्षे श्रष्टिको नाग श्र। श्र- : अर सीहेन सय पक्ष दत्त द्र० उमयं द्र ३६ समीपाटी मडपिकायां व्याष्टपय माण पंच कुलेन वर्ष वर्ष प्रति आचंद्रार्क - - यावत् दातव्याः। शुभमस्तु ।
( 896 ) ओं नमो भीतरागाय संवद १३४६ वर्षे श्रावण वदि ३ शुक्र दिने खहेड़ा ग्रामे महादपाल लमारावा कर्म सीहपा--..।
माताज'के मंदिरके स्तम्भ पर ।
( 897 ) ॥ ॐ ॥ नमो योत रागाय ॥ संवत् १३४५ वर्षे प्रथम:भाद्रवा यदि शुक्र दिने अद्येह श्री नडूल मंडले महाराज कुल श्री सम्पंत सिह देव राज्येत्र तन्नियुक्त श्री ॥ श्री करणे महं ललनादि पंच कुल प्रच्छति भूमि अक्षराणि पञ्चा ॥ समो तल पदित्य मंडपिकायां साधु • हेमाकेन भाद्वि हाथीउड़ी ग्रामें श्री महाबीर देव नेवार्थं वर्ष प्रति वर्ता - - क द्र २४ चत्वबिसि ,मा. प्रदत्ता शुभं भवतु ॥ बहुभिर्वसुधा भुक्ता राजभि सगरादिपि। जस्य जस्य जदा भूमी तस्य तस्य क्दा फलं ॥ कपूर विजय लिषतं ।
खण्डहर में मिला हुआ पाषाण पर।
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-.- ॥ विरके - पजे रक्षा सस्था जवस्तवः। परिशासतु ना'-- परार्य ख्यापना जिनाः ॥१॥ ते वः पातु जिना पिनाम समये यत्पाद पद्मोन्मुख मेंखा संख्य मयूख