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( 871 ) चैत्यो नरवरे येन श्री सल्लक्ष्मट कारिते। पंडपो मंडनं लक्ष्या कारितः संघ भास्वता ॥१॥ अजयमेरु श्री वीर चैत्ये येन विधापिता श्री देवा बालकाः ख्याताश्चतुर्विंशति शिखराणि ॥२॥ श्रेष्ठी श्री मुनि चंद्राख्यः श्री फलवर्द्धिका पुरे उत्तान पह श्री पार्श्व चैत्येऽचीकरदद् भूतं ॥३॥
कोकिन्द । यह प्राचीन स्थान भी मारवाड़के मेड़ता जिलेमें है
श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर।
J( 2) ॐ॥ संवत् १२३० आषाढ़ सुदि श्री किष्कंधर दिवा प्रमुख वाला मलण बास ददिवा रावधी विधि चैत्ये मूल नायकः श्री आनन्द सूरि देशनया श्रे॥१॥
J ( 873 ) ___ॐ ॥ संवत १२३० आषाढ़ सुदि किष्कंध विधि चैत्य मूल नायकः श्री आनंद सूरि देशनया अ० धाधल श्रे० वाला लण दास ददिवा पीवर दिवा प्रमुख पाक -.।
( 874 ) ॐ॥ नमो बीतरागाय ॥ श्री सिद्धिर्भवतु ॥ स्वति श्रियामास्पदमापसिद्विजगत्त्रये यस्य भवत् प्रसिद्धि। सोऽस्तु श्रिये स्फूर्जदनव रिद्विरादीश्वरः शारद भास्य दिद्धि ॥१॥ यमाहता शैव मताऽवलंया। हिन्दु प्रकाराय वन प्रकाराः। सर्वेऽप्यमी