________________
( २२१ )
वीर आम जाल काल्हा पुत्र लक्ष्मीधर महीधर राल्हण पुत्र आखे शूर घोरहसी पुत्र देव जस पाल्हण पुत्र घण चंडा रथ चंडादि स्वकलत्र समन्विताः स्व श्रवोर्थं स्तंभ लगामिमं कारापयामासुः ।
( 868 )
ओं संवत १२६५ वर्षे उसम गोत्र श्रेष्ठ पार्श्वभायां दूल्हेषि तत्पुत्र मगाकेन भार्या राजमति राहू तस्याः पुत्राश्चत्वारो लक्ष्मीधर अभय कुमार मेघ कुमार शक्ति कुमार लक्ष्मीधर पुत्र वीर देव अभय दे पुत्र सर्वदेबादिषु कुल कुटुब सहितेन स्तंभन माकारितेदमिति --
---|
( 869 )
ॐ संवत १२६५ वर्षे श्री नाणकीय गच्छे धर्केट गोत्र आसदेव तत्सुत जागू भार्या - थिर मति तत्सुत गाहड़स्तस्य भार्या सातु तत्पुत्र आजमदादेः समुर्त्तिका सूरि काम कारयदात्म यसे ॥ छ ॥
फलोदी |
यह स्थान मारवाड़ के मेड़ता नगरके पास है ।
बड़े जैन मंदिरके देहलीके पत्थरों पर ।
( 870 )
संवत् १२२१९ मार्गसिर सुदि ६ श्रो फलवर्द्धिकायां देवाधिदेव श्री पार्श्वनाथ चैत्ये श्री प्राग्वाट वंसीय रोपि मुणि मं० दसाढ़ाभ्यो आत्म श्रेयार्थ श्री चित्रकूटीय सिलफ्ट सहितं चन्द्रको प्रदत्तः शुभं भवत् ॥