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कुण्डलपुर। आज कल यह स्थान वडगांव नामसे प्रसिद्ध है परन्तु शास्त्र में इस्का गुन्धर ग्राम नाम है । यहां श्री महावीर स्वामीजीके प्रथम गणधर श्री गोतमस्वामो ( इन्द्रभूति ) जी का जन्म स्थान है। वौद्धोंके समयमें निकटमें नालंदा नामका प्रसिद्ध विश्वविद्यालय
और छात्रावास था। चारों तर्फ प्राचीन कीर्तियों के चिन्ह विद्यमान हैं। गवर्णमेंट के तर्फसे इस वर्ष यहां खुदाई आरम्भ भई है आशा है कि प्राचीन इतिहासके उपयुक्त बहुतसे साधने यहां मिलेगी।
पाषाणपर।
(269 ) ॥५॥ संवत १४७७ वर्षे ज्येष्ट वदि ६ शुक्रे श्री आदिनाथ ऋषत विंवं का० ।
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॥ सं० १५०४ वर्षे फागुण सुदि दिने महतियाण वंशे काणा गोत्रे स० कउरसी पुत्र म० भीषण कारित श्री महावीर विवं प्रतिष्ठितं श्री खरतर गच्छे श्री जिनसागर सूरीणां निदेशेन वाचकाचार्य सुभ शील गणितिः ।
( 21 ) सं० १६८६ वर्षे वैशाष सुदि १५ दिने मंत्रिदल वंशे चोपरागोत्रे ठा० विमलदास तत्पुत्र ठा. तुलसीदास सत्पुत्र ठा० संग्राम गोवर्द्धनदास तस्य माता ठ० नीहालो तत्पुत्र मौर्या ठकुरेटी देहुरा गोतमस्वामीका चरण गुन्धर ग्राम --कारा पिता वृहत्खरतर गच्छे पूज्य श्री श्री जिनराज सूरि विद्यमाने उ० अभय धर्मेन प्रतिष्ठा कृता॥