________________ प्रास्ताविक "श्री जैनस्तोत्रसंचय" नो श्रीजो विभाग सुज्ञ-विद्वानोना करकमलमां अर्पण कराय छ / आ ग्रंथमा मुख्यत्वे बे विभाग छ (1) श्री त्रिदशतरङ्गिणीनो प्रथमस्रोत अने जिनस्तुतिस्तोत्ररत्नकोश / (2) अन्य स्तुति-स्तोत्रो. प्रथम स्रोतनुं नाम "नमस्कारमंगल" छे तेमा नीचे मुजबना छ तरंगो छ / 1. मंगलशब्दश्लोक-सर्वज्ञाष्टक 2. श्री युगादिदेवस्तवाष्टक 3. श्री शांतिजिनस्तवाष्टक (जेमां शब्दयमकालंकार भरपूर रीते छे) 4. श्री नेमिनाथस्तवाष्टक (जेमां पांच वर्याक्षरनो परिहार करेल छे) 5. श्री पार्श्वजिनस्तवाष्टक 6. श्री वर्द्धमानस्वामिस्तवाष्टक आमां प्रथम अष्टकमां सर्वज्ञप्रभुनी अने पछी श्रीऋषभदेव, श्री शांतिनाथ, श्री नेमिनाथ, श्री पार्श्वनाथ अने श्री महावीरस्वामीनी विविध सुंदर पद्योथी स्तुति करवामां आवी छ / ___ जेमा विशेष करीने श्रीवर्द्धमानस्वामीस्तवनामना छट्ठा तरंगमां मंगलाचरण रूपे पहेलु पद्य छे पछी एक एकाक्षरी पद्य छ। पछी द्वयक्षरी नव पद्यो छे पछी पांच पद्यो उपसंहारआशीर्वादरुप छ / "Aho Shrut Gyanam"