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नाइए परिवसंति
महिलाण पयोहरे लच्छी
मुहु देखी मिलिमि २ करइ
मृ. कन्नन गुहाइ
यो मे गर्भस्थितस्याऽपि
राति रडइ न कोई सा
रायाण देर्दिते
लहूअ उलगर धम्म करि
वर्षाकाले पयोराशिः
वसा विणु सूरिया
विविशे[ ३ ] अब
वृत्ति कल्पितवान् पयः
शिवोऽप्यरूपी सजिनोऽवताः
शेपवृत्तिविश्वानाथ
सहि कार्य सहसा अहिये
संचार सह कोई
सरइ न एकू कै
स वेत्ति विश्व न हि तस्य वेत्ता
सुहण खग्ग- आगे
सूअ निश्चंत काई
सो कहि करिश्यइ कज किम हजाउं दिए जाइ
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२४.१६
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२६.७
२१.८
२९.६
२६.४
३१.६
२१.१७
२४.२०
२६.५
२५.२०
२९.७
२४.१२
२९.८
२४,१५
२६.६
२५.१८
२४.११
३१.८
२१.१८
२१.१३
२१.१०
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