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एशीयाटीक सोसायटी ऑफ बंगालमां
छपाएला जैन ग्रन्थो. १. योगशास्त्र-त्रण अंको प्रत्येकना २. शान्तिनाथचरित्र-त्रण अंक दरेकना ३. षड्दर्शनसमुच्चय-थे अंक, प्रत्येकना
०-१०-० ४. समराइञ्चकहा-चार अंक, प्रत्येकना ५. प्रबन्धचिन्तामणि-(इंग्रेजीभाषामा) त्रण अंक प्रत्येकना १-४-० ६. परीक्षामुख-लघुवृत्तिसहित, न्यायनो ग्रन्थ. १-०-० ७. न्यायसार-सटीक.
२-०-० ८. तत्वार्थाधिगमभूत्र-भाष्य सहित, त्रण अंक, प्रत्येकना ०-१०-० ९. उपमितिभवप्रपञ्चाकथा-(जीजो तथा चोथो अंक छोडी)
१३ अंक संपूर्ण. प्रत्येक अंकना। १०. उपासकदशाङ्गसूत्र-मूल तथा टीका. प्राकृत शब्दोनो
कोश पण साथे छे. ११. प्राकृतलक्षण-चण्डकृत-प्राकृतव्याकरण १२. बौद्धप्रकरणसंग्रह- बौद्ध न्यायशास्त्रनां न्हानां न्हाना छ प्रकरणोनो समावेश छे.
०-१०.० १. श्रीधर्ममहोदय-(संस्कृत) श्रीरलविजयजी विरचित ०-१-० २. श्रीविजयधर्मसूरिचरित्र-(गूजराती) पोस्टेज ०-१-० ३. सुजनसम्मेलनम्-(हिन्दी) महामहोपाध्याय श्रीरा
ममिश्रशास्त्रीजीनुं व्याख्यान तेमां जैनधर्मनी प्राचीनतासिद्ध करी छे.
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'जैन-शासन' आ पत्र दरेक पूर्णिमा तथा अमावास्याए प्रगट थाय छे. पो
"Aho Shrut Gyanam"