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________________ प्राचीनलिपिमाला. (ई.स. ६४१)के दानपत्रों से तय्यार किया गया है. रणग्रह के दानपत्र का 'ए' लिपिपत्र ३८ में दिये हुए बलभी के राजा शीलादित्य के दानपत्र के 'ए' से मिलता हुआ है. लिपिपल ३६ की मूल पंक्तियों का नागरी अक्षरांतर इत्युक्तच भमवता वेदव्यामेन व्यासेम घष्टिवरिष(वर्ष)सहस्राणि स्वगर्गे मोदनि भूमिदा(दः) आता चानुमन्ता र ताम्येव नरके पसे त्] विग्याटोवतोयात शुष्ककोटरवासिनाः] कि(क)ष्णाइयो हि जायन्ते भूमिदानापहारकाः लिपिपत्र १० बां. यह लिपिपत्र नवसारी से मिले हुए चालुक्य युवराज श्याश्रय (शीलादित्य) के कलचुरि सं. ४२१ (ई. स. ३७०) के दानपत्र और गुजरात के राष्ट्रकूट ( राठौड़ ) राजा कर्कराज ( सुवर्णवर्ष ) के शक सं. ७३४ (ई. स. ८१२) के दानपत्र से तय्यार किया गया है. कर्कराज के दानपत्र के '' की प्राकृति नागरीके 'द की सी है जिसमें, संभव है कि, ग्रंथि से नीचे निकला हा अंश'' से उक्त अक्षर को भिन्न बतलाने के लिये ही हो. 'ई' का ऐसा ही या इससे मिलता हुआ रूप लिपिपन्न ३७ और ३८ में भी मिलता है. लिपिपत्र ४०वें की मूल पंक्तियों का नागरी अक्षरांतर-- ओं स वोव्याधसा येन(धाम) यवाभिकमलङकृतं । हरश्च यस्थ कान्तेन्दु कलया स(क)मलङकृतं । स्वस्ति स्वकीयान्क्यवश(वंश)कर्ता श्रीराष्ट्रकूटामलषडश(वंश)जम्मा । प्रदामशर. समरैबोरी गोविन्दराजः क्षितिपो बभूव ॥ यस्या.."माचयिनः प्रियसाइसरय मापालवेशफलमेव १२- मध्यप्रदेशौ लिपि. है. स. की पानी से नीं शताद के आस पास तक (लिपिपत्र ४१-४२). मध्यप्रदेशी लिपि का प्रचार मध्यप्रदेश, बुंदेलखंड, हैदरायाद राज्य के उत्तरी विभाग तथा मईसोर राज्य के कुछ हिस्सों में ई.स. की पांचवीं से नवीं शताब्दी के आस पास सक रहा, यह लिपि गुप्तों, वाकाटकवंशियों'. शरभपुर के राजाओं, महाकोशल के कितने एक सोम(गुप्तोवंशी , यमन पंक्रिया रणग्रह के दानपत्र से है.. . ज.ब.प. सौ. जि. १६. पृ.२ र ३ के बीच के सेरो मे. . ई.पै. जि. १२. पृ. १५८ और १६१ के बीच के सेटों से. ४ ये मुल पंक्तियां गुजरात के राष्ट्रकूट राजा कर्कराज के दानपत्र से है 1. फती गु.ई. लेख २-३. इन्हीं लेम्बा की सिपि पर से वाकाटको मादि के दामपत्रों की लिपि निकली हो. ५. ए. शि. ३, पृ. २६०.६२. जि. ६, पृ. २७०-७१. ई. एँ; जि. १२, पृ. २४२-५. पली; गु. लेखसम्या ५३-६. आ. स. चे. जि. ४. मेट ५६. लेखसंख्या ४, मंट ५७ लेखसंख्या ३. . ऐं. जि.१, पृ.२८३-४. फली; गु.ई: लेख संख्या ४०-४१. Aho! Shrutgyanam
SR No.009672
Book TitleBharatiya Prachin Lipimala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar H Oza
PublisherMunshiram Manoharlal Publisher's Pvt Ltd New Delhi
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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