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________________ संस्कृतटीका-भाषाटीकासमेतः (७) अर्थ-३५ में राजादिकोंके दिनचर्या अर्थात् कौन दिनमें क्या शुभाशुभ होगा, उसका विचार, ३६ में इस गर्भमें क्या होगा ? अर्थात् पुत्रादिकका विचार करेंगे । इस "भुवनदीपक" नामक ग्रंथमें ये छत्तीस द्वारोंके विषय मैंने नौ श्लोकोंमें कहे ॥ १० ॥ मेषवृश्चिकयोभीमः शुक्रो वृपतुलाभृतोः॥ बुधःकन्यामिथुनयोःकर्कस्वामी तु चन्द्रमाः ११ सं० टी०-मेषवृश्चिकयोः प्रथमाष्टमयोः स्वामी मंगलः, वृषतुलयोः द्वितीयसप्तमयोः स्वामी शुक्रः, कन्यामिथुनयोः षष्ठतृतीययोः स्वामी बुधः, कर्कस्य चतुर्थभवनस्य स्वामी चन्द्रमाः ॥११॥ ___ अर्थ-अब प्रथम द्वार में मेषादिराशिके स्वामीका निर्णय करते हैंकि, मेष और वृश्चिकका मंगल, वृष और तुलाका शुक्र, कन्या और मिथुनका बुध, तथा कर्क राशिका चन्द्रमा स्वामी है ॥ ११ ॥ स्यान्मीनधन्विनो वः शनिर्मकरकुम्भयोः ॥ सिंहस्याधिपतिः सूर्यः कथितो गणकोत्तमैः१२ सं० टी०-मीनधन्विनोः द्वादशनवमयोः स्वामी जीवो बृहस्पतिः, मकरकुम्भयोः दशमकादशयोः स्वामी शनिः, सिंहस्य पंचमस्थानस्याधिपतिः सूर्यः, गगकोत्तमज्योतिविद्भिः कथितः। पूर्व किल सिंहादिगृहषट्कस्य स्वामी सूर्यः, "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009670
Book TitleBhuvandipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchu Sharm
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1940
Total Pages138
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size4 MB
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