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प्रस्तावना।
यह बात किसीसे छिपी नहीं है कि भूत, भविष्य, वर्तमान इन तीनों कालोंकी बात कहनेकी शक्ति देनेवाला केवल ज्योतिष शास्त्र ही प्रसिद्ध है, यद्यपि इस शास्त्रके छोटे बडे अनेकानेक ग्रन्थ हैं और अपने २ विषयमें एकसे एक चढे वढे हैं परन्तु. छोटे ग्रन्योंमें प्रश्न तथा कुण्डलीफल कहने के लिये जैसा यह उत्तम है वैसा और कोई नहीं और जो लोग संस्कृत भाषाको भलीभांति नहीं समझ सको उनके लाभार्थ मिथिलामण्डलान्तर्गत कनिगामग्रामनिवासी श्रीवबुये शर्मात्मज ज्योतिर्विद् झोपनामक श्रीबच्चूश द्वारा इसकी सरल भाषाटीका करवाकर व प्राचीन संस्कृतटीका भी शुद्ध कराकर संयुक्त कर दी है। संस्कृतटीका तथा भाषाटीका सहित इस भुवनदीपक ग्रन्यको मैं निज “लक्ष्मीवेङ्कटेश्वर" स्टीम्-प्रेस, कल्याण बम्बई में मुद्राकर प्रकाशित करता हूँ. आशा है कि ज्योतिषीगण इसे ग्रहण कर स्वयं लाभ उठावेंगे और हमारे परिश्रमको सफल करेंगे ।
आपका कृपाभिलाषी
गंगाविष्णु श्रीकृष्णदास, अध्यक्ष " लक्ष्मीवेङ्कटेश्वर" (स्टीम् ) प्रेस,
कल्याण-बम्बई.
"Aho Shrut Gyanam"