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पासरसं
रिज्मणं, बारस सया अणुत्तरोववाइयाणं० ॥ १५७ ॥ अरहओ पुरिसादाणीयस्स दुविहा अंतकडभूमी होत्या, तं जहा जयंतभूमी य परियायंतकडभूमी य । जाव उत्थाओ पुरिसजुगाओ जयंतकडभूमी, तिवासपरियार अंतमकासी ॥ १५८ ॥ से काले सेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए तीसं वासाई अगारवासमझे वसिता, सीति इंदियाई छउमत्थपरियायं पाउणित्ता, देखूमाई सत्तरि वासाई केवलिपरियाय पाउणत्ता, बहुपडिपुन्नाई सत्तरिं वासाई सामन्नपरिया पाउणित्ता, एकं वासयं सब्बाउयं पालिता खीणे वेयमिवाज्यनामगोते sita refप्पणी दूसमसूसमाए समाए बहुवीहकंवाए जे से वासाणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे सावणसुद्धे तस्स णं सावणसुद्धस्स अहमपकरणों उप्पि सम्मेयसेलसिहरंसि अप्पचोत्तीसहमे मासिएणं भवेणं अमाणसणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागणं पुव्त्रण्हकालसमयंसि वैमारियमाणी कालगए जाव सब्वदुक्खपहीणे ॥ १५९ ॥ परसस्त णं अरहओ पुरिसादाणियस्स कालगतरस जाव सबदुक्ख पहीणसं दुबालस वाससयाई विकताई तेरसमस्त य वाससयस्स अयं तीसइमे संवच्छरकाले गच्छछ ।। १६० ।।
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तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिनेमी पंचचित्ते होत्था, तं जहा - चित्ताहि चुए चहत्ता गर्भ वकते जाव चित्ताहि परिनिव्व ॥ १६१ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिनेमी जे से वासाणं चत्थे मासे सत्तमे पक्खे कत्तियबहुले तस्स णं कचियबहुलस्स तेरसीपक्खेणं अपराजियाओ महाविमाणाओ बत्तीसं सागरोवम
१-२ बरिलाई च ॥ ३ पालता गन्ध ॥ ४ सिद्दरस्त व ॥ ५ वाघारि च ॥ ६ धुवसेणराइणो सुतोवणे तेरस वालसयाई तीसाहियाई विश्कताई । तेणं छ ॥
"Aho Shrut Gyanam"