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अध्याय - ४
अपरा पल्योपममधिकम् ॥३३॥ सौधर्म और ईशान स्वर्ग में जघन्य आयु एक पल्य से कुछ अधिक है।
The minimum is a little over one palyopama.
परतः परतः पूर्वापूर्वाऽनन्तराः ॥३४॥
जो पहिले-पहिले के युगलों की उत्कृष्ट आयु है वह पीछे-पीछे के युगलों की जघन्य आयु होती है।
The maximum of the immediately preceding is the minimum of the next one (kalpa).
नारकाणां च द्वितीयादिषु ॥३५॥
दूसरे इत्यादि नरक के नारकियों की जघन्य आयु भी देवों की जघन्य आयु के समान है - अर्थात् जो पहिले नरक की उत्कृष्ट आयु है वही दूसरे नरक की जघन्य आयु है। इस प्रकार आगे के नरकों में भी जघन्य आयु जानना चाहिये।
The same with regard to infernal beings from the second infernal region onwards.
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