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अध्याय -३
प्राङ्मानुषोत्तरान्मनुष्याः ॥३५॥
मानुषोत्तर पर्वत तक अर्थात् अढ़ाई द्वीप में ही मनुष्य होते हैं - मानुषोत्तर पर्वत से परे ऋद्विधारी मुनि या विद्याधर भी नहीं जा सकते।
(There are) human beings up to Mānuşottara.
आर्या म्लेच्छाश्च ॥३६॥
आर्य और म्लेच्छ के भेद से मनुष्य दो प्रकार के हैं।
The civilized people and the barbarians.
भरतैरावतविदेहाः कर्मभूमयोऽन्यत्रदेवकुरूत्तरकुरुभ्यः
॥३७॥
पाँच मेरु सम्बन्धी पाँच भरत, पाँच ऐरावत, देवकुरु तथा उत्तरकुरु ये दोनों छोड़कर पाँच विदेह, इस प्रकार अढाई द्वीप में कुल पन्द्रह कर्मभूमियाँ हैं।
Bharata, Airāvata, and Videha excluding Devakuru and Uttarakuru, are the regions of labour.
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