________________
अध्याय - ३
भरतस्य विष्कम्भो जम्बूद्वीपस्य नवतिशतभागः ॥३२॥ भरत क्षेत्र का विस्तार जम्बूद्वीप के एक सौ नव्वेवाँ (190) भाग के बराबर है।
The width of Bharata is one hundred and ninetieth (1) part of that of Jambudvipa.
द्विर्धातकीखण्डे ॥३३॥
धातकीखण्ड नाम के दूसरे द्वीप में क्षेत्र, कुलाचल, मेरु, नदी इत्यादि सब पदार्थों की रचना जम्बूद्वीप से दूनी-दूनी है।
In Dhātakikhanda it is double.
पुष्करा॰ च ॥३४॥
पुष्करार्द्ध द्वीप में भी सब रचना जम्बूद्वीप की रचना से दूनी-दूनी है।
In the (nearest) half of Puskaradvipa also.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
. . . 48