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अध्याय
औपपादिकचरमोत्तमदेहासंख्येयवर्षायुषोऽनपवर्त्यायुषः
॥५३॥
The lifetime of beings born in special beds, those with final, superior bodies and those of innumerable years, cannot be cut short.
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[ औपपादिक ] उपपाद जन्मवाले देव और नारकी, [ चरम उत्तम देहाः] चरम उत्तम देह वाले अर्थात् उसी भव में मोक्ष जाने वाले तथा [ असंख्येयवर्ष आयुषः ] असंख्यात वर्ष आयु वाले भोगभूमि के जीवों की [ आयुषः अनपवर्ति ] आयु अपवर्तन रहित होती है।
॥ इति तत्त्वार्थाधिगमे मोक्षशास्त्रे द्वितीयोऽध्यायः॥
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