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अध्याय - २
The five-sensed beings with minds are called samjñi jīvas.
विग्रहगतौ कर्मयोगः ॥२५॥
[विग्रहगतौः ] विग्रहगति में अर्थात् नये शरीर के लिये गमन में [कर्मयोगः ] कार्मण काययोग होता है।
In transit from one body to another, (there is) vibration of the karmic body only.
अनुश्रेणि गतिः ॥२६॥ [गतिः ] जीव पुद्गलों का गमन [अनुश्रेणि] श्रेणी के अनुसार ही होता है।
Transit (takes place) in rows (straight lines) in space.
अविग्रहा जीवस्य ॥२७॥
[जीवस्य] मुक्त जीव की गति [अविग्रहा] वक्रता रहित सीधी होती है।
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