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अध्याय -२
संसारिणो मुक्ताश्च ॥१०॥
जीव [ संसारिणः ] संसारी [च] और [ मुक्ताः ] मुक्त - ऐसे दो प्रकार के हैं। कर्म सहित जीवों को संसारी और कर्म रहित जीवों को मुक्त कहते हैं।
The transmigrating and the emancipated souls.
समनस्काऽमनस्काः
॥११॥
संसारी जीव [ समनस्काः ] मनसहित-सैनी [ अमनस्काः ] मनरहित-असैनी, यों दो प्रकार के हैं।
(The two kinds of transmigrating souls are those) with and without minds.
संसारिणस्त्रसस्थावराः ॥१२॥
[ संसारिणः ] संसारी जीव [त्रस] त्रस और [ स्थावराः] स्थावर के भेद से दो प्रकार के हैं।
The transmigrating souls are (of two kinds), the mobile and the immobile beings.
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