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अध्याय - १०
धर्मास्तिकायाभावात् ॥८॥ [धर्मास्तिकायाभावात् ] आगे (अलोक में) धर्मास्तिकाय का अभाव है अतः मुक्त जीव लोक के अन्त तक ही जाता है।
As there is no medium of motion.
क्षेत्रकालगतिलिंगतीर्थचारित्रप्रत्येकबुद्धबोधितज्ञानावगाहनान्तरसंख्याल्पबहुत्वतः साध्याः ॥९॥ [ क्षेत्रकालगतिलिंगतीर्थचारित्रप्रत्येकबुद्धबोधितज्ञानावगाहनान्तरसंख्याल्पबहुत्वतः ] क्षेत्र, काल, गति, लिंग, तीर्थ, चारित्र, प्रत्येकबुद्धबोधित, ज्ञान, अवगाहना, अन्तर, संख्या और अल्पबहुत्व - इन बारह अनुयोगों से [ साध्याः ] मुक्त जीवों (सिद्धों) में भी भेद सिद्ध किये जा सकते हैं।
The emancipated souls can be differentiated with reference to the region, time, state, sign, type of Arhat, conduct, self-enlightenment, enlightened by others, knowledge, stature, interval, number, and numerical comparison.
॥ इति तत्त्वार्थाधिगमे मोक्षशास्त्रे दशमोऽध्यायः ॥
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