________________
अध्याय - ८
[शेषाणां] बाकी के अर्थात् ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय, अन्तराय और आयु - इन पाँच कर्मों की जघन्य स्थिति [अन्तर्मुहूर्ता] अन्तर्मुहूर्त की है।
The minimum duration of the rest is up to one muhurta.
विपाकोऽनुभवः ॥२१॥ [विपाकः ] विविध प्रकार का जो पाक है [ अनुभवः ] सो अनुभव है।
Fruition is the ripening or maturing of karmas.
स यथानाम ॥२२॥
[सः] यह अनुभाग बन्ध [ यथानाम ] कर्मों के नाम के अनुसार ही होता है।
(The nature of) fruition is according to the names of the karmas.
ततश्च निर्जरा ॥२३॥
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
123