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________________ ॥ वंदना ॥ धर्म के क्षेत्र में वंदना का जितना मूल्य या महत्त्व है, व्यवहार के क्षेत्र में भी उसका उतना ही महत्त्व और मूल्य है। यह शिष्टाचार है। हमें बंदना करनी चाहिए। सद्गुरु की वंदना श्रद्धाभक्ति द्वारा करने से विनय की वृद्धि होती है। इसका मुख्य उद्देश्य भी आत्मशुद्धि है। हमें प्रत्याख्यान भी करना चाहिए।प्रमाद पूर्वक किये भूत कालीन दोषों का प्रत्याख्यान। प्रत्याख्यान हेतु पूर्वक नियत करने के अर्थ से यह प्रयुक्त है। साधु-साध्वियों की वंदना करते हैं, उससे अहं का विसर्जन होता है। आवश्यक छह अध्ययन है उनमें से एक वंदना है। गौतम ने महावीर से पूछा- भंते! वंदना से जीव को क्या लाभ होता है ? भगवान ने कहा – गौतम! वंदना से जीव नीच गोत्र कर्म को क्षीण करता है। उच्च गोत्र कर्म का बंध बांधता है। वर्तमान युग में तनाव बहुत है। तनाव मुक्ति के यह सामायिक साधना आवश्यक है। चौबीस घंटे अपने आपको तरोताजा एवं कार्यक्षम रखने के लिए सामायिक सबसे उत्तम साधन है। इसलिए केवल जैन साधु, जैन श्रावक के लिए नहीं अपितु संपूर्ण मानव मात्र के लिए कल्याणकारी है। कुछ लोग बार-बार घड़ी देखते हैं, जैसे-तैसे सामायिक की अवधि पूरी करते हैं। अमेरिका में मैंने जब पर्युषण करवाया था, तभी कई श्रावक सामायिक के बारे में पूछते थे। हम सही अर्थ से सामायिक करेंगे, सुनियोजित और प्रायोगिक सामायिक करेंगे, तो हमें सामायिक में आत्मानंद मिलेगा। ध्यान का चौथा चरण - ज्योति केन्द्र प्रेक्षा चित्त को ललाट के मध्य भाग में ज्योति केन्द्र पर केन्द्रित करें और वहां पर श्वेत रंग का ध्यान करें, जैसे पूर्णिमा का चाँद उग रहा है, उसकी श्वेत रश्मियां ज्योति केन्द्र पर गिर रही हैं अथवा किसी भी चमकती हुई श्वेत वस्तु का आलम्बन लें। ज्योति केन्द्र पर सफेद रंग का साक्षात्कार करें।.... अनुभव करें - पूर्णिमा के चाँद की श्वेत किरणें ज्योति केन्द्र पर गिर रही हैं। अनुभव करें-क्रोध शांत हो रहा है। आवेश और आवेग शांत हो रहे हैं। वासनाएं शांत हो रही है। (दो या तीन मिनट के बाद) अब चित्त को पूरे ललाट पर फैलाएं, पूरे ललाट पर श्वेत रंग का ध्यान करें। अनुभव करें कि पूरे ललाट के भीतर तक श्वेत रंग के परमाणु प्रवेश कर रहे हैं। पूरा ललाट श्वेत रंग के परमाणुओं से भर गया है। शान्ति व आनन्द का अनुभव करें।तीन दीर्घ श्वास के साथ प्रयोग सम्पन्न करें। विवेक सूत्र- १. अप्पणा सच्चमेसेज्जा मेत्तिं भूएसु कप्पए। स्वयं सत्य खोजें, सब के साथ मैत्री करें। २. आहेसु विजा चरणं पमोक्खं। दुःख-मुक्ति के लिए विद्या और आचार का अनुशीलन करें। शरण सूत्र: अरहंते सरणं पवजामि, सिद्धे सरणं पवजामि। सरणं पवजामि, केवल-पण्णत्तं धम्म सरणं पवज्जामि। श्रद्धा सूत्रः वन्दे सच्चं, वन्दे सच्चं, वन्दे सच्चं। आगमाध्ययनं कार्य, श्रुतपाठः शंभुकरः ।। बन अहम्नानं पतर्धते तस्मात. स्वाध्यायः परमं तपः ।। स्वाधशय उत्कृष्ट तप है इसलिए आगामों का अध्ययन करना चाहिए। चामालपाठ-शाम का पाठ भी कल्याणकारी है। इससे ज्ञानतदाता है।
SR No.009660
Book TitleBane Arham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAlka Sankhla
PublisherDipchand Sankhla
Publication Year2010
Total Pages49
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size57 MB
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