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( ३ )
विषय
३३. वीतरागकथामें अधिक अवयवोंके बोले जानेके चित्यका समर्थन ३४. बौद्धोंके त्रैरूप्य हेतुका निराकरण ३५. नैयायिकसम्मत पाँचरूप्य हेतुका कथन और उसका निराकरण
३६. अन्यथानुपपत्तिको ही हेतु लक्षण होनेकी सिद्धि
३७. हेतुके भेदों और उपभेदों का कथन ३८. हेत्वाभासका लक्षण और उनके भेद ३९. उदाहरणका निरूपण ४०. उदाहरण के प्रसङ्गसे उदाहरणाभासका
कथन
४१. उपनय, निगमन और उपनयाभास तथा निगमनाभास के लक्षण
४२. श्रागम प्रमाणका लक्षण
४३. प्राप्तका लक्षण
४४. अर्थका लक्षण और उसका विशेष कथन ४५. सत्त्वके दो भेद और दोनोंमें अनेकान्तात्मकताका कथन
४६. नयका लक्षण, उसके भेद और सप्तभङ्गी का प्रतिपादन
४७. ग्रन्थकार का अन्तिम निवेदन
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