SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 292
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org यही है जिंदगी २७४ आसपास के लोग तो उसको देखेंगे ही! अज्ञानी को घटना पसंद आती है ज्ञानी पुरुष घटना पसंद नहीं करते। ज्यों-ज्यों ज्ञान की परिणति बढ़ती जाती है, त्यों-त्यों ज्ञानी मौन के महासागर में उतरता जाता है। दुनिया के लोगों से अलिप्त बनता जाता है। लोग उसको भूल जायँ, यह बात उसको पसंद आती है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - वे अपने जीवन को 'घटना' नहीं बनने देते। वे शांति से, मौन से जीना पसंद करते हैं, वैसे मृत्यु भी नीरव शांति में ही पाना चाहते हैं । मौन के महासागर में डूब जाना चाहते हैं । - दुनिया के लोग ऐसे ज्ञानी पुरुषों के आगे-पीछे शोर करते हैं, जयजयकार की ध्वनि करते रहते हैं । - दुनिया के लोग तो शोर करेंगे ही। उनको शोर मचाने में ही मजा आता है । - ज्ञानी शोर के बीच भी मौन रहते हैं । भीतर भी मौन और बाहर भी मौन ! भीतर भी शान्त और बाहर भी शान्त ! - मौन के महासागर में गोते लगाते हुए उनको भीतर में परमात्मा के दर्शन हो जाते हैं। परमात्मा भीतर ही मिलते हैं न । अपूर्व आनंद की अनुभूति होती है वहाँ । - फिर वे बाहर के क्षणिक आनंद की इच्छा भी क्यों करेंगे ? इच्छा उठने का सवाल ही नहीं रहता । वे समता-समाधि और ज्ञान - ध्यान में लीन रहते हैं । विश्व का अवलोकन भी वे मध्यस्थ भाव से करते रहते हैं। आत्मना आत्मानमात्मनि पश्यति । आत्मा से आत्मा को वे देखते हैं। आत्मा से बाहर कुछ भी नहीं! 'अणु' को देखने-परखने में भी विज्ञानी को कितनी सूक्ष्मता में उतरना पड़ता है ! तो फिर अणु-परमाणु से भी बहुत ही सूक्ष्म आत्मा में उतरने के लिये... कितनी गहराई में जाना पड़े? - - मौन से, शांति से... समता से ही भीतर की गहराई को छू सकते हैं.... कि जहाँ परमात्मा का दर्शन होता है, दिव्य आनंद की अनुभूति होती है। For Private And Personal Use Only
SR No.009641
Book TitleYahi Hai Jindgi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages299
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy