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'लोकप्रकाश' ग्रंथ में प्रत्येक वनस्पति के १२ प्रकार बताए हैं - वृक्षा गुच्छा, गुल्मा, लताश्च वल्लयश्च पर्वणाश्चैव। तृण-वलय-हरितकौषधि-जलरुह-कुहणाश्च विज्ञेया।।९८ ।। सर्ग. ५
१. वृक्ष, २. गुच्छ, ३. गुल्म, ४. लता, ५. वल्ली , ६. पर्व, ७. तृण, ८. वलय, ९. हरीतकी, १०. औषधि, ११. जलोत्पन्न, १२. कुहण ।
पहले वृक्ष की बात बताता हूँ - - कुछ वृक्ष ऐसे होते हैं कि जिस के ऊपर जो फल आते हैं, उन फलों में एक
ही बीज होता है। यानी हर फल में एक-एक जीव।। - कुछ वृक्षों के फलों में अनेक बीज होते हैं। - एक बीजवाले फलों के वृक्ष : आम, नीम, जामुन, अशोक, बकुल, नाग,
किंशुक वगैरह। - अनेक बीजवाले फलों के वृक्ष : कदम्ब, अनार, पनस, वगैरह । - इन वृक्षों के मूल में, स्कंध में, शाखा में, छाल में एवं प्रवाल में असंख्य _ 'प्रत्येक जीव' रहे हुए होते हैं। - पुष्प में अनेक जीव होते हैं। हर पत्र में एक-एक जीव होता है, हर बीज
में और फल में भी एक-एक जीव होता है। - संपूर्ण वृक्ष-स्कंध में एक जीव ही व्याप्त होता है । मूल वगैरह १० अंग, उसी
वृक्ष-स्कंध के अवयव होते हैं। दूसरा है गुच्छ : बोरड़ी, तुलसी, गली, इत्यादि 'गुच्छ' कहलाते हैं। तीसरी है गुल्म की जाति : मल्लिका, कुंद, जुई, मोगरा वगैरह । चौथा प्रकार है लताओं का : अशोक, चंपक, नाग, वासंती वगैरह । जिस स्कंध में एक ही बड़ी शाखा उर्ध्व में निकली हो, दूसरी वैसी एक भी शाखा न हो, उसको लता कहते हैं। पाँचवा प्रकार है वल्ली का : द्राक्ष, कोराफल, वगैरह 'वल्ली' है।
छठ्ठा प्रकार है पर्व : इक्षु, नेतर, बांस वगैरह पर्ववाली वनस्पति है। यानी बीच बीच में सांधे होते हैं।
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