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‘यह तो निश्चित है कि कर्ममत का असर मनुष्य जीवन पर बेहद हुआ है। यदि किसी मनुष्य को यह मालूम पड़े कि वर्तमान अपराध के सिवाय भी मुझे जो कुछ भोगना पड़ता है, वह मेरे पूर्व जन्म के कर्म का ही फल है, तो वह मनुष्य पुराने कर्ज को चुकानेवाले मनुष्य की तरह शांत भाव से उस कष्ट को सहन कर लेगा और वह मनुष्य इतना भी जानता हो कि सहनशीलता से पुराना कर्ज़ चुकाया जा सकता है, तो भलाई के रास्ते पर चलने की प्रेरणा स्वयं ही जागृत होगी।’
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चेतन, इस पत्र को पुनः पुनः पढ़ना । कर्मवाद के विषय में तेरी श्रद्धा ज्ञानमूलक बनेगी। शेष कुशल ।
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भद्रगुप्तसूरि