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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बुद्धि का बादशाह १. बुद्धि का बादशाह ढाई हजार साल पुरानी यह बात है। बुद्धि के चमत्कारों से रची-पची यह कहानी है। 'राजगृह' नाम का भव्य, सुंदर और विशाल एक नगर था। उस नगर में सैकड़ों करोड़ाधिपति व्यापारी रहते थे। उन सबकी ऊँची-ऊँची श्वेत वर्ण की विशाल हवेलियाँ थी और उस नगर में देव-विमान से भी सुंदर जिनमंदिर थे। विशाल राजमार्ग थे। राजगृह नगर 'मगध' साम्राज्य की राजधानी थी। [मगध यानी इन दिनों का बिहार प्रान्त] मगध साम्राज्य के सम्राट थे राजा प्रसेनजित । राजा प्रसेनजित अद्वितीय पराक्रमी थे। प्रजावत्सल थे और न्याय करने में निपुण थे। उनके राज्य में प्रजा बड़ी सुखी थी... समृद्ध थी और सदाचारी थी। राजा प्रसेनजित को एक सौ रानियाँ थी। उसमें मुख्य रानी थी कलावती। कलावती रानी रूपवती और गुणवती थी। राजा प्रसेनजित को एक सौ पुत्र थे... उनमें सबसे बड़ा था श्रेणिककुमार। राजा ने सभी राजकुमारों को शस्त्रकला और शास्त्रकला में निपुण बनाया था। जो आदमी अपने जीवन की पहली अवस्था में ज्ञानार्जन न करे, दूसरी अवस्था में धन का उपार्जन न करे... तीसरी अवस्था में धर्म का आचरण न करे... उस मनुष्य का... उस आदमी का चौथी अवस्था में भला क्या हाल होगा? इसलिए सुख से यदि जीना हो और मृत्यु के पश्चात् सद्गति को प्राप्त करना हो तो ज्ञानप्राप्ति, धनप्राप्ति और धर्मप्राप्ति करनी ही चाहिए | एक दिन राजा प्रसेनजित ने सोचा कि 'मेरे सभी पुत्र-सभी राजकुमार ज्ञान और ताकत में एक से हैं। मेरे सौ पुत्रों में से मेरा उत्तराधिकारी-वारिस मैं किसको बनाऊँ? जो बुद्धिमान हो... विनीत हो... और प्रजाप्रिय हो... उसे ही राजा बनाया जा सकता है। इसलिए मुझे मेरे पुत्रों की परीक्षा करनी चाहिए | यदि राजा अपने जीते जी ही अपने बेटों की परीक्षा करके उनकी मर्यादा नहीं बाँध देता है, तो राजा की मौत के पश्चात् राजकुमार राज्य व सत्ता के लिए आपस में लड़ने-झगड़ने लगेंगे... युद्ध करेंगे। लड़ते-लड़ते मौत का शिकार बनेंगे | शत्रु राजा राज्य पर अधिकार जमाएंगे। इसलिए मैं मेरे राजकुमारों की परीक्षा अवश्य करूँगा। For Private And Personal Use Only
SR No.009639
Book TitleRajkumar Shrenik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages99
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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