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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अत्याधुनिक संसाधनों के माध्यम से त्वरित वाचक सेवा का पूज्य साधु-साध्वीजी, संशोधक-विद्वान एवं अभ्यासु वर्ग अपने साहित्य संशोधन-संपादन कार्य में भरपूर लाभ लेते हैं. यहीं पर सम्राट संप्रति जैन म्यूजियम में श्रुतज्ञान, भारतीय शिल्प कला एवं पुरावस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है. पूज्य साधु-साध्वीजी एवं श्रावक-श्राविकाओं को पुस्तकें शीघ्र मिल सके इसलिए पालड़ी, अहमदाबाद में ज्ञानमंदिर की एक शहर शाखा भी कार्यरत है. (४) यात्री सुविधा : दो उपाश्रय, दो यात्रीनिवास, विशाल भोजनशाला, अल्पाहर गृह आदि की सुविधाएँ भी मुमुक्षुओं व यात्रियों हेतु उपलब्ध हैं. (७) श्रुत सरिता : उचित मूल्य पर बालक, युवा और मुमुक्षुओं के लिए उपयोगी पुस्तकें, आराधना सामग्री, धार्मिक उपकरण, भक्ति कैसेट्स, सी.डी. तथा एस.टी.डी टेलीफोन बूथ इत्यादि उपलब्ध है. विश्वमैत्री धाम : गांधीनगर स्थित बोरीज तीर्थ में भूगर्भ से प्राप्त श्री महावीरस्वामी की प्रतिष्ठा योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरिजी के कर कमलों से हुई थी. इस तीर्थ का श्री धनलक्ष्मी महावीर स्वामी जिनमंदिर ट्रस्ट के द्वारा पुनरुद्धार परम पूज्य आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा एवं शुभाशीर्वाद से किया गया. नवनिर्मित १०८ फीट ऊँचे विशालतम जिनालय में ८१.२५ ईंच के पद्मासनस्थ श्री वर्धमान स्वामी प्रभु प्रतिष्ठित किये गये हैं. यहाँ पर महिमापुर (पश्चिमबंगाल) में जगत्शेठ श्री माणिकचंदजी द्वारा १८वी सदी में कसौटी पथ्थर से निर्मित भव्य और ऐतिहासिक जिनालय को मुख्य मन्दिर के एक तरफ नूतन जिनप्रासाद में पुनः प्रतिष्ठित किया गया है. निस्संदेह इससे इस तीर्थ परिसर में पूर्व व पश्चिम भारत के जैन शिल्प का अभूतपूर्व संगम हुआ है. वर्तमान में इसे जैन संघ की ऐतिहासिक धरोहर माना जाता है. तो दूसरी तरफ दर्शनीय समवशरण जिनालय है. मुख्य मन्दिर के तलघर में प्रभु महावीर के जीवन को प्रदर्शित करती मनोरम्य झाँकियाँ बनाई गयी है. इस तीर्थ में सुविधायुक्त भोजनशाला व धर्मशाला भी है. For Private And Personal Use Only
SR No.009639
Book TitleRajkumar Shrenik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages99
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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