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अभयकुमार का अपहरण किया। राज्य के जटिल सवालों को अपने बुद्धिबल से वह पलक झपकते हल कर देता था। इसलिए उसका नाम 'बुद्धिधन अभयकुमार' प्रसिद्ध हो गया था।
जिस समय मगध पर राजा श्रेणिक का शासन था, उस समय उज्जयिनीअवंती में राजा चंडप्रद्योत राज्य करता था | चंडप्रद्योत काफी ताकतवान और पराक्रमी राजा था। उसकी आँखें मगध साम्राज्य पर टिकी हुई थी। वह ऐसे मौके की खोज में था कि 'राजगृही पर विजय प्राप्त करके अपना प्रभुत्व जमा सके!' चंडप्रद्योत की यह महत्वाकांक्षा थी।
उसने एक दिन अधीनस्थ चौदह राजाओं के साथ गुप्त मंत्रणा की। राजगृही पर अचानक आक्रमण करने की योजना बनाई। मगध देश की विपुल संपत्ति पर वैसे भी सभी की ललचायी निगाहें जमी थी। एक लाख सैनिकों के साथ चौदह राजाओं को लेकर चंडप्रद्योत ने राजगृही की ओर प्रयाण किया। __ इधर राजगृही के गुप्तचरों ने चंडप्रद्योत की आक्रमण योजना के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने अविलंब सम्राट श्रेणिक को समाचार पहुँचाये। श्रेणिक ने तुरंत महामंत्री अभयकुमार को बुलाया।
'अभय, उज्जयिनी का राजा चंडप्रद्योत, चौदह राजाओं के साथ एक लाख सैनिकों को लेकर राजगृही पर आक्रमण करने के लिए आ रहा है। अभी-अभी मुझे अपने विश्वस्त गुप्तचरों ने समाचार दिये हैं।'
'पिताजी, आप क्या चाहते हैं? युद्ध या युद्ध विराम?' 'बेटा, युद्ध में तो हजारों-लाखों बेगुनाह जीव मारे जाएंगे। हिंसा का तांडव नृत्य होगा। अच्छा होगा... कोई भी सम्मानपूर्ण रास्ता निकले और युद्ध टल जाए! हाँ, राजगृही को चंडप्रद्योत के आगे झुकना भी नहीं है!' ___ 'ठीक है, आने दीजिए, उस चंडप्रद्योत के भूत को! दिन दहाड़े उसे दूम दबाकर नहीं भगाया तो मेरा नाम अभय नहीं!'
'बेटा, तू बुद्धिशाली है... तू अवश्य उससे बुद्धि के बल पर निपट सकता है! और बिनजरूरी हिंसा-लड़ाई से सब को बचा सकता है!'
अभयकुमार राजा श्रेणिक को प्रणाम करके अपने स्थान पर गये। चंडप्रद्योत से कैसे निपटना... यह सोचते अचानक उनके दिमाग में एक विचार बिजली की भाँति कौंध उठा। उन्होंने चुटकी बजायी और चौदह लाख सोनामुहरों की थैलियाँ मंगवाकर अपने पास रखी। और तुरंत अपने विश्वसनीय राजपुरुषों को बुलाकर कहा :
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