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मिलना पिता से पुत्र का!
६१ वह घर पर गये। रानी प्रभावती से बात की। रानी ने राजा को दीक्षा लेने के लिए खुशी के साथ इजाजत दी। राजकुमार केशव का राज्याभिषेक किया। राजा मेरे पास आये और उसने विनती की : 'प्रभो, मुझे दीक्षा देकर, इस दुःखमय संसार से मेरा उद्धार कीजिए।' मैंने राजा को दीक्षा दी। उदायन राजा, राजर्षि उदायन बन गये।
तूने जिन्हें देखा, वे ही हैं उदायन राजर्षि! और अभयकुमार! ये राजर्षि इसी जीवन में तमाम कर्मों का नाश करके मोक्ष में जानेवाले हैं!'
अभयकुमार ने पूछा : 'प्रभो, और कौन राजर्षि मोक्ष में जाएंगे?'
भगवान ने कहा : 'यह राजर्षि उदायन ही अंतिम मुक्तिगामी होंगे। उनके बाद और कोई राजा दीक्षा लेकर मोक्ष में नहीं जाएगा।'
अभयकुमार ने भगवान को वंदना की।
वह राजमहल में आया... उसका मन किसी गंभीर चिंता में डूब गया था। मन में विचारों का ज्वार उठ रहा था।
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