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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नया जीवन साथी मिला www.kobatirth.org PROSTORNALE PADA MA ३३. नया जीवन साथी मिला " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रशांत यामिनी सर्द खामोशी में लिपटी - लिपटी महक रही थी । नील गगन में चाँद बदलियों के संग आँखमिचौली खेल रहा था । चमकते-दमकते तारे हँसते हुए इस आँखमिचौली को देख रहे थे । २२० अतिथिगृह की अट्टालिका पर से कोई मधुर वीणा के स्वरों का कारवाँ वातावरण में फैल रहा था । शब्द भी जहाँ बर्फ बन जाए वैसी तन-मन को छू जानेवाली सुरावली में से अपने आप भाव प्रगट हो रहे थे । भावुकता भरे दिल को तो ऐसा ही लगता जैसे कि किसी की चाहत बुला रही है। कोई पागल प्रेमी स्वरों के साये में लिपटता हुआ पुकार रहा है। जिंदगी को वसंती झूले पर झूलाए, वैसी वह सुरमोहिनी, लगता था घनी रात के साये में बेनातट की गलियों में घूम रही थी । साँस थाम कर सुनने की ललक उठे, वैसी स्वरगंगा प्रवाहित हो रही थी । राजमहल के एक शयनकक्ष में युवा राजकुमारी भरी नींद में से जग गयी थी । कलेजा हाथ में लिए जैसे वह एकात्म होकर सुरावली को पी रही थी । किसी गंधर्वकुमार का मधुर वीणावादन आज वह पहली - पहली बार सुन रही हो वैसा महसूस हो रहा था। आज से पहले वीणा के सुर उसने जैसे सुने हीं नहीं थे। मखमली सेज पर सोयी हुई राजकुमारी को स्वप्नसृष्टि में घूमने के लिए वीणा के मदिर सुरों का साथ मिला ! उसकी अंतरसृष्टि में नये-नये रंग-तरंग उछलने लगे-उभरने लगे । राजसभा में पहली बार देखा हुआ परदेशी राजकुमार उसकी कल्पनासृष्टि में साकार हुआ - 'यह वही होना चाहिए। उसी कलाकार राजकुमार का यह वीणावादन लगता है।' उसके मन ने अनुमान किया और भोले हृदय ने उस अनुमान को सत्य रूप में मान लिया । दुबली-पतली देहलता वाला गौरवर्णा सुंदर युवान! घुंघराले काले - कजराले केश! कोमल कमल से स्वच्छ नेत्र ! कमलदंड से सुकोमल सुहावने हाथ ! गले में लटकती सच्चे मोतियों की झिलमिलाती माला ! For Private And Personal Use Only - एक मनमोहक कल्पनाचित्र राजकुमारी की कोमल कल्पना में खड़ा ह मधुर स्वर के मोहक कच्चे धागे से तारों में उसने प्रथम प्रीत की हीरक गाँठ बाँध ली! वीणा के सुरों को बहानेवाला विमलयश उसके हृदय का वल्लभ हो गया ।
SR No.009637
Book TitlePrit Kiye Dukh Hoy
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size2 MB
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