________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
७५
विद्या विनयेन शोभते
रूपवती ने हाथ जोड़कर उससे कहा : 'तू मुझे मारना चाहे तो मार ले, पर मेरे को सताओ मत...मेरे शरीर को छूना मत।'
माली ने कहा : 'देख, यदि तू शादी करने के बाद सबसे पहले मुझसे मिलने आने का वचन दे, पहले मेरे पास आने की प्रतिज्ञा ले तो ही मैं तुझे छोडूंगा...जाने दूंगा।' रूपवती ने हामी भर ली। वह अपने घर पर लौट आयी।
कुछ दिन बीते... उसकी कामदेव की पूजा सफल हुई। एक अच्छे घराने के लड़के के साथ रूपवती की शादी हो गई। शादी के बाद रूपवती ने अपने पति से मिलकर कहा : ___ 'मैंने शादी से पहले बगीचे के माली से अपने आपको छुड़ाने के लिए वचन दिया था कि शादी के बाद मैं पहले उस माली से मिलने के लिये जाऊँगी। इसलिये यदि आप इजाजत दें तो मैं माली के पास जा आऊँ!'
पति भी रूपवती की प्रतिज्ञा पालन करने की दृढ़ता की बात सुनकर प्रसन्न हुआ। उसने इजाजत दे दी। रूपवती माली के पास जाने के लिये निकली। रास्ते में उसे चार चोर मिले। उन्होंने रूपवती को देखकर उसे लूटने का इरादा किया। उन्होंने उसे पकड़ा। रूपवती से कहा : 'हम तुझे हमारी पत्नी बनायेंगे... अब तू हमारे पास से कहीं नहीं जा सकती!' रूपवती ने कहा : 'देखो... मेरी प्रतिज्ञा है माली के पास जाने की... वहाँ जाकर वापस आऊँ... तब तुम्हें जो करना हो सो करना... अभी तो मुझे जाने दो!'
चोरों ने उसे जाने दिया। रूपवती आगे चली... इतने में एक भयंकर राक्षस ने आकर उसको दबोचा...'मैं तुझे जिन्दा ही खा जाऊँगा।'
रूपवती ने जरा भी घबराये बगैर कहा : 'मेरी एक प्रतिज्ञा है... माली के पास जाने की... वहाँ जाकर वापस लौटू तब तुम्हारे मन में जो आये वह करना... फिलहाल मुझे जाने दो।' राक्षस ने भी उसे जाने दिया। ___ रूपवती सीधी बगीचे के माली के पास उसके घर पर जा पहुंची। माली ने रूपवती को देखा। उसे आश्चर्य हुआ। उसने पूछा :
'अरे...तू अभी यहाँ पर रात को क्यों आयी है?'
For Private And Personal Use Only