________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रेष्ठिकुमार शंख __ 'शंखदेव, विजयनगर में राजा विजयसेन होगा | उसकी विजया नाम की रानी के वहाँ तुम्हारा पुत्र के रूप में जन्म होगा।' शंखदेव को सुनकर आनंद हुआ । मुनिराज ने वहाँ से विहार कर दिया। सभी देव अपने-अपने स्थान पर चले गये। ___ शंखदेव के असंख्य बरस देवलोक में गुजर जाते हैं। एक दिन उसने अवधिज्ञान के सहारे विजयनगर को देखा | राजा विजयसेन और रानी विजया को देखा। उसने रात्रि के समय सोये हुए राजा को स्वप्न दिया। राजा से स्वप्न में कहा : ___ 'राजन्, मैं जैसे कहूँ वैसे तुम तुम्हारी राजसभा में चित्रकार के द्वारा चित्र बनवाओ। एक योगी एक राजकुमार को उसके तीन मित्रों के साथ भयंकर जंगल में ले जाता है। जंगल में यक्षराज का मन्दिर आता है। उस मन्दिर के बाहर योगी चार बकरे लाता है। राजकुमार के द्वारा एक बकरे की हत्या करवाता है। दूसरे बकरे की हत्या सेनापति के बेटे के हाथों करवाता है। तीसरे बकरे का वध पुरोहित के पुत्र के हाथों करवाता है। पर श्रेष्ठिपुत्र बकरे को मारता नहीं है | योगी उन तीनों को मार डालता है। वहाँ का यक्ष श्रेष्ठिपुत्र शंख पर प्रसन्न हो जाता है। शंख सकुशल घर वापस लौटता है। जीवदया के धर्म से वह सुखी बनता है।'
राजा विजयसेन स्वप्न देखकर जाग उठा। वह सोचता है अपने मन में : 'मैंने ऐसा कभी सोचा भी नहीं है...ऐसा देखा भी नहीं है... फिर मुझे ऐसा स्वप्न क्यों आया? मेरे शरीर में कफ या पित्त का विकार भी नहीं है! और फिर यह सपना भी कितना लम्बा चला... एक कहानी सा...शायद यह गलत होगा।' राजा ने सपने पर विशेष ध्यान नहीं दिया।
शंखदेव अवधिज्ञान से हमेशा देख रहा है कि स्वप्न देखकर राजा क्या करता है? जब उसने देखा कि राजा ने कुछ भी नहीं किया, तो देव ने दूसरे दिन रात को फिर से वैसा ही स्वप्न दिया राजा को।
राजा जगकर सोचता है : 'जरुर इस में कुछ रहस्य है। वही का वही सपना मुझे दुबारा आया! मुझे मान लेना चाहिए। शायद इसके पीछे कोई दिव्यशक्ति का कुछ संकेत रहा होगा?' उसने अपने नगर के श्रेष्ठ चित्रकारों को बुलाकर देखे हुए स्वप्न की कहानी बता दी और उस मुताबिक दीवार पर सुन्दर चित्र बनाने का आदेश दिया। चित्रकारों ने राजसभा की ही एक दीवार पर सुन्दर ढंग से सजीव चित्र बना दिया। काफी मेहनत और लगन से काम
For Private And Personal Use Only