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पत्र ८ २०. हे प्रभो, आप अरतिरहित हैं, नाराजगी रहित हैं, आपको मेरी वंदना! २१. हे प्रभो, आप भयरहित हैं, आपको मेरी वंदना! २२. हे जिनेश्वर, आप निद्रारहित हैं, आपको मेरी वंदना! २३. हे जिनेश्वर, आप तंद्रारहित हैं, आपको मेरी वंदना! २४. हे जिनेश्वर, आप दुरंदशा-दुर्दशारहित हैं, आपको मेरी वंदना! २५. हे जिनेश्वर, आप अबाधित योगवाले हैं, यानी स्थिर समाधि वाले हैं,
आपको मेरी वंदना! २६. हे जिनेश्वर, आप परमपुरुष हैं, श्रेष्ठ हैं, आपको मेरी वंदना! २७. हे जिनेश्वर, आप परमात्मा हैं, श्रेष्ठ आत्मा हैं, आपको मेरी वंदना! २८. हे जिनेश्वर, आप परमेश्वर हैं, आपको मेरी वंदना! २९. हे जिनेश्वर, आप प्रधान हैं, श्रेष्ठ हैं, आपको मेरी वंदना! ३०. हे जिनेश्वर, आप परमपदार्थ हैं-यानी श्रेष्ठ वस्तु हैं, आपको मेरी वंदना! ३१. हे जिनेश्वर, आप परमेष्ठि हैं, श्रेष्ठ पद पर हैं, आपको मेरी वंदना! ३२. हे शरण्य, आप परमदेव हैं, आपको मेरी वंदना! ३३. हे शरण्य, आप परमान हैं, प्रमाणभूत हैं, आपको मेरी वंदना! ३४. हे शरण्य, आप विधि हैं, यानी मोक्षमार्ग का विधान करने वाले हैं, आपको
मेरी वंदना! ३५. हे शरण्य, आप विरंची हैं, यानी ब्रह्मा हैं, आपको मेरी वंदना! ३६. हे शरण्य, आप विश्वंभर हैं, विश्वव्यापक हैं, आपको मेरी वंदना! ३७. हे शरण्य, आप हृषिकेश हैं, यानी इन्द्रियविजेता हैं, आपको मेरी वंदना! ३८. हे शरण्य, आप जगन्नाथ हैं, आपको मेरी वंदना! ३९. हे शरण्य, आप अघहर हैं, पापों का नाश करने वाले हैं, आपको मेरी
वंदना! ४०. हे शरण्य, आप अघमोचन हैं, जीवों को पापों से मुक्त करने वाले हैं,
आपको मेरी वंदना! ४१. हे शरण्य, आप धणी हैं, मालिक हैं, आपको मेरी वंदना! ४२. हे शरण्य, आप मुक्ति हैं, यानी मुक्तिमय हैं, आपको मेरी वंदना! ४३. हे भगवंत, आप परमपद हैं, यानी मोक्षमय हैं, आपको मेरी वंदना! ४४. हे भगवत, आप साथी हैं, यानी सभी जीवों को तकलीफों में साथ देने
वाले हैं, आपको मेरी वंदना!
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