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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पत्र २ १ माता का नाम २ पिता का नाम ३ च्यवन कल्याणक श्री ऋषभदेव भगवंत ४ जन्म कल्याणक ५ दीक्षा कल्याणक ६ केवलज्ञान कल्याणक ७ निर्वाण कल्याणक ८ गणधर ९ साधु १० साध्वी www.kobatirth.org १९ श्रावक १२ श्राविका | १३ ज्ञानवृक्ष १४ यक्ष [ अधिष्ठायक देव] १५ यक्षिणी [ अधिष्ठायिका देवी ] १६ आयुष्य १७ लंछन [ चिह्न - Mark] १८ च्यवन किस देवलोक से ? १९ तीर्थंकर नामकर्म उपार्जन २० पूर्वभव कितने ? २१ छद्मस्थ अवस्था मरूदेवा नाभिकुलकर आषाढ कृष्णा ४/अयोध्या चैत्र कृष्णा ८ / अयोध्या चैत्र कृष्णा ८ / अयोध्या [विनीतानगरी] फाल्गुन कृष्णा ११ /पुरिमताल माघ कृष्णा १३/अष्टापद पर्वत संख्या ८४/प्रमुख पुंडरीक संख्या ८४००० / प्रमुख ऋषभसेन संख्या ३ लाख / प्रमुख ब्राह्मी संख्या ३ लाख ५ हजार / प्रमुख श्रेयांस संख्या ५ लाख ५४ हजार / प्रमुख सुभद्रा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६ | २२ गृहस्थ अवस्था २३ शरीर - वर्ण [आभा] २४ दीक्षा दिन की शिबिका का नाम २५ नाम- अर्थ ८४ लाख पूर्व वृषभ - बैल सर्वार्थसिद्धविमान [अनुत्तर देवलोक ] वज्रनाभ के भव में For Private And Personal Use Only वटवृक्ष गोमुख चक्रेश्वरी १३ १ हजार बरस ८३ लाख पूर्व सुवर्ण सुदर्शना प्रथम स्वप्न में माता के द्वारा वृषभ देखने के कारण
SR No.009635
Book TitleMagar Sacha Kaun Batave
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size2 MB
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