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पत्र १ कम से कम रहना और दर्शन-पूजन-स्तवन-ध्यान वगैरह करना! तू आनन्दविभोर हो जायेगा। एक बात याद रखना-तीर्थों में संयत और जितेन्द्रिय बनकर रहना। ___ जिस ग्रन्थ और ग्रन्थकार के विषय में लिखना है... वो दूसरे पत्र में लिलूँगा। तीर्थयात्रा के बाद मद्रास की ओर पदयात्रा शुरू होगी। सभी को धर्मलाभ -
कुल्पाक तीर्थ २७-१-८४
- प्रियदर्शन
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