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काशीदेश में अहिंसा-प्रचार - पाटन में 'यूका विहार' नाम का जिनमंदिर बंधवाया गया। - कुमारपाल के राज्य में सभी जूं को मारने से भी डरने लगे।
कुमारपाल के साम्राज्य में दूध में पानी भी नहीं मिलाया जाता था। लोग डरते थे।
००० एक बार कुमारपाल ने सुना कि :
काशी नाम का देश है। उसमें वाराणसी नाम का बहुत बड़ा नगर है। वहांके राजा का नाम है, जयन्तचन्द्र।
जयन्तचन्द्र का राज्य काफी विशाल है। उसकी सेना में हजारों हाथी हैं। लाखों घोड़े हैं | राजा पराक्रमी है... और उसकी सेना भी विराट है। ___ गंगा और यमुना जैसी बड़ी नदियों के किनारे पर प्रजा बसती है। प्रजा की खुराक है मछली। रोजाना लाखों मछलियाँ मरती हैं... उन्हें जाल में पकड़कर मारा जाता है।
यह सुनकर राजा कुमारपाल का दयालु दिल काँप उठा। उसने सोचा : यह हिंसा... इतनी घोर हिंसा बंद करवाने के लिए कुछ न कुछ सोचना होगा। गंभीर उपाय करना होगा। युद्ध किये बगैर हिंसा बंद करवानी है... कुछ योजना बनानी होगी!'
कुमारपाल को एक सुन्दर सा उपाय हाथ लग गया। एक श्रेष्ठ चित्रकार को बुलाकर उससे एक मनोहारी चित्र बनवाया। 'हेमचन्द्रसूरि को राजा कुमारपाल प्रणाम करता है।'
इस चित्र के साथ दो करोड़ सोनामुहरें और दो हजार घोड़े देकर अपने चार बुद्धिशाली मंत्रियों को वाराणसी की ओर रवाना किया।
मंत्री काफिलों के साथ नगरी के बाहर डेरा डालकर रुके। इतने सारे दो हजार घोड़ों को नगर में रखे कहाँ पर? मंत्रियों ने सोचा :
इस वाराणसी नगरी का दूसरा नाम है मुक्तिपुरी! नाम मुक्तिपुरी और काम मछली मारने का! मछली खाने का! कितना विरोधाभास है दोनों में? इस नगर में छोटे-बड़े सभी मांसाहारी हैं...यहाँ पर हिंसा बंद करवाना मुश्किल है। मांसाहार लोगों की दिलचस्प खुराक है और मनपसंद खाना छुड़वाना मुश्किल होता है!
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