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काशीदेश में अहिंसा-प्रचार
८० ५. यदि कोई चोरी करेगा तो उसे देश से बाहर कर दिया जाएगा। ६. यदि कोई स्त्रियों के साथ बुरा बरताव करेगा तो उसे देश में से बाहर __ निकाल दिया जाएगा। ७. यदि कोई लड़कियों को खरीदने-बेचने की कोशिश करेगा तो उसे
देशनिकाला की कड़ी सजा दी जाएगी।
सुबह से लेकर शाम तक पाटन में ये सवारियाँ घूमती रही... आखिर में सातों सवारों को जंगल में छोड़ दिया गया।
० ० ० गुरुदेव श्री हेमचन्द्रसूरिजी ने कुमारपाल से कहा : 'राजन, इन सभी प्रदेशों में -प्रांतों में, गाँव और नगरों में हिंसा बंद करवाने के लिए सब जगह पर तुम्हें कार्यक्षम अधिकारियों को नियुक्त करना चाहिए | कोई छुपे ढंग से या गुप्त रूप से भी हिंसा न करे... किसी जीव को मारे नहीं... इसकी सतर्कता रखनी चाहिए।'
राजा ने गुरुदेव की आज्ञा का पालन किया। हर एक गाँव और नगर में हिंसा को पूरी तरह रोकने के लिए राजपुरुषों को नियुक्त किया गया । सतर्कताभरे कदम उठाये गये ।
एक छोटा सा गाँव था। उस में एक व्यापारी रहता था।
एक दिन की बात है : व्यापारी अपने घर की चौपाल में बैठा है... उसकी पत्नी व्यापारी के बालों में तेल डालकर बालों को मालिश कर रही थी... अचानक उसे जूं दिखाई दी। उसने अपने पति से कहा : 'तुम्हारे सिर में जूं है! व्यापारी ने कहा : 'कहाँ है वह जूं? बता मुझे!'
स्त्री ने जूं निकालकर व्यापारी के हाथ में रखी। व्यापारी ने तुरन्त ही उस घु को मसलकर मार डाली।
उसकी पत्नी चिल्लायी : 'यह तुमने क्या किया? महाराजा कुमारपाल की आज्ञा है कि जूं तक को नहीं मारना। यह बुरा काम किया तुमने!' व्यापारी बदतमीजी से हँसता हुआ चिल्लाया...
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