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काशीदेश में अहिंसा-प्रचार
___ ७९ - मच्छीमारों को मच्छी मारने से रोक दिया। - शिकारियों के शिकार पर प्रतिबन्ध लगाया। - शराब की दुकानें बन्द करवा दी। - जुए के अड्डे भी बाकायदा बन्द करवा दिये। - अनछाना पानी पीना भी बन्द करवा दिया।
कोई भी मनुष्य एक छोटीसी जॅ को भी नहीं मार सके वैसा उमदा अहिंसा धर्म का गुजरात में पालन करवाने लगा।
इसके बाद अपनी हुकुमत के राज्यों में जीवहिंसा को बंद करवाने के लिए मंत्रियों को भिजवाया।
सौराष्ट्र, लाटदेश, मालवा, मेवाड़ और मारवाड़ में अहिंसा धर्म को फैलाया । कोंकण प्रदेश में भी हिंसा को बंद करवाया।
- कहीं पर समझा-बुझा कर हिंसा बंद करवाई। - कहीं पर रुपये-पैसे देकर जीवों को अभयदान दिलवाया। - कहीं पर जोरतलबी करके भी हिंसा का रास्ता प्रतिबंधित किया। एक दिन राजा कुमारपाल ने वाग्भट्ट मंत्री को बुलाकर कहा : 'मंत्री, मिट्टी के सात पुतले बनवाओ
१. मांसाहारी का, २. शराबी का, ३. जुआरी का, ४. शिकारी का, ५. चोर का, ६. स्त्रियों को सतानेवाले का, और ७. लड़कियों के सौदागरों का।।
फिर हर एक पुतले को अलग-अलग गधे पर बिठाने का। उन सातों गधेसवारों को पाटन के बाजारों में और गलियों में घुमाने का। चाबूक मारमार कर उन्हें नगर के बाहर मार भगाने का। ___ और एक दिन सचमुच, पाटन के राजमार्ग से सात प्रकार के बड़े पापों की गधेसवारी निकली! सब से आगे राजा के कर्मचारी ढोल पीट-पीट कर घोषणा कर रहे थे। १. यदि कोई मांसाहार करेगा तो उसे देश में से बाहर निकाल दिया जाएगा। २. यदि कोई शराब पीएगा तो उसका देशनिकाला किया जाएगा। ३. यदि कोई जुआ खेलेगा तो उसे देश से निकाल दिया जाएगा। ४. यदि कोई शिकार करेगा तो उसे देशनिकाला की सजा होगी।
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