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कुमारपाल का राज्याभिषेक
५६ 'महात्मा, खुद को किसी भी तरह की तकलीफ नहीं होती हो फिर भी औरों पर उपकार करनेवाले गिनती के लोग होते हैं... ऐसे में... इतने नाजुक मौके पर खुद अपने आपको खतरे में डालकर भला, कौन परोपकार करेगा? आप एक ही ऐसे वीर पुरुष निकले।'
'गुरुदेव, आपके उत्तम गुणों के कारण ही मैं आज दिन तक आपके प्रति आदर भक्तिवाला था... पर आज तो आपका मैं दास हो चुका हूँ! आज आपने मुझे जीवनदान दिया है... यह मेरा परम सौभाग्य है!' ___ आचार्यदेव ने उदयन मंत्री से कुमारपाल को आवश्यक सोन-मुहरें दिलवाई और उसे खंभात से दूर-दूर चले जाने की सलाह दी। रात के निबिड़ अंधकार में कुमारपाल अदृश्य हो गया ।
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