________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सटीक भविष्यवाणी
११५ गुप्तचर टुकड़ी ने आकर महाराजा कुमारपाल से, निवेदन करते हुए समाचार दिये :
'महाराजा, राजा कर्ण अपनी विशाल सेना के साथ गुजरात पर आक्रमण करने के लिए चढ़ा आ रहा है। तीन दिन में वह पाटन की सीमा में प्रविष्ट हो जाएगा।' ___ कुमारपाल ने गुरुदेव का ही मार्गदर्शन लेने का निर्णय किया। यदि वह कर्ण के साथ युद्ध करने के लिए जाए तो तीर्थयात्रा को स्थगित रखना पड़े। तीर्थयात्रा करने का कार्यक्रम जारी रखे तो गुजरात पर आफत की आँधी उतर आये। शायद राजा कर्ण का पंजा गुजरात पर सिकंजा कस ले।
कुमारपाल का मन पशोपश में उलझ गया। कुमारपाल वाग्भट्ट मंत्री को अपने साथ लिए उपाश्रय में गुरुदेव के पास पहुंचे।
गुरुदेव को वंदना कर के कहा : 'गुरुदेव, मैं आप से एकान्त में कुछ निवेदन करना चाहता हूँ। बात जरा गंभीर है।'
गुरुदेव कुमारपाल को लेकर एक खंड में पधारें। 'गुरूदेव, गुप्तचर लोग अभी-अभी समाचार लाये हैं... कि राजा कर्ण अपनी ताकत में मदहोश होकर गुजरात पर हमला करने दौड़ा आ रहा है। दो-चार दिन में ही वह पाटन के दरवाजे पर दस्तक देगा। यदि हम परसों सबेरे तीर्थयात्रा के लिए यहाँ से प्रयाण करते हैं तो वह राजा मेरे राज्य और राज्य की प्रजा को तहस-नहस कर देगा।
यदि उसके साथ युद्ध करने के लिए जाता हूँ तो संभव है यह युद्ध कुछ दिन खिंच भी जाएँ । चूँकि यह राजा एकाध दिन में पराजित हो सके वैसा नहीं है। उत्तरी भारत का वह राजा है, पराक्रमी है। यदि युद्ध लंबा चले तो तीर्थयात्रा का कार्यक्रम स्थगित करना पड़ेगा। ऐसे में बाहर से... दूर-दूर से आये हुए राजा... श्रेष्ठी... नगरजनों को निराश-हताश होकर लौट जाना पड़े। कुछ समझ में नहीं आता गुरुदेव । यह कैसी बाधा आ पड़ी है? मेरे शुभ मनोरथों के महल पर जैसे कि बिजली टूट गिरी।'
गुरुदेव कुमारपाल की मनोव्यथा आँखें मूंदकर सुनते रहे। कुमारपाल का स्वर अब भीगने लगा था।
For Private And Personal Use Only