________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
११४
सटीक भविष्यवाणी ___ 'तब फिर देर काहे की? गुरुदेव, आप कृपा कीजिए और यात्रा के लिए शुभ दिन, शुभ मुहूर्त मुझे दीजिए | उस दिन हम यहाँ से मंगल प्रयाण करेंगे।' ___'राजन्, इसके लिए... इस तीर्थयात्रा में साथ पधारने के लिए गुजरात में विहार कर रहे जैनाचार्यों को विनति निमंत्रण भेजना चाहिए। तुम्हारे मित्र राजाओं को एवं आज्ञांकित राजाओं को भी निमन्त्रित करने चाहिए। पाटन व अन्य शहरों के मुख्य श्रेष्ठियों को बुलाने चाहिए। राज्य में ढिंढोरा पिटवा दीजिए कि जिस किसी स्त्री-पुरुष की इच्छा शत्रुजय तीर्थ की यात्रा करने की हो... यात्रा के लिए पैदल यात्रा संघ में आने की भावना हो उन सभी को महाराज कुमारपाल की ओर से भावभरा निमंत्रण है।'
- राजा ने निमंत्रण भिजवाये। - पूरे राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया गया। - पाटन में जिनभक्ति के महोत्सव आयोजित हुए। - साधर्मिकों को भोजन के लिए निमंत्रित किये गये। - कैदखानों में से बंदीजनों को मुक्त कर दिये गये। - वाग्भट्ट मंत्री और आम्रभट्ट मंत्री के कंधों पर तीर्थयात्रा-संघयात्रा की समूची जिम्मेदारी डाली गई। - सैंकड़ों रथ और पालकियाँ सजायी गई। - हजारों हाथी-घोड़ों को सजाया गया।
ज्यों-ज्यों यात्रा के प्रयाण का दिन नजदीक आता गया त्यों-त्यों प्रजाजन एवं राजपरिवार के लोग खुशी से पिघलने लगे | चारों ओर उल्लास व हर्ष का सागर हिलोरें लेने लगा | सर्वत्र हेमचन्द्रसूरि और कुमारपाल के गुणगान होने लगे।
- आमंत्रण मिलते ही राजा आये। - आमंत्रण मिलने पर श्रेष्ठी आये। - श्रीमंत आये और गरीब आये। - पुरुष आये, स्त्रियाँ आई... बच्चे आये। - पाटन में मानव-सागर जैसे कि हिलोरें मारने लगा। पर अचानक रंग में भंग पड़ा।
For Private And Personal Use Only